अष्टांग योग एवं षट्कर्म

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अष्टांग योग एवं षटकर्म   अष्टांग  योग और षष्ठ कर्म दोनों ही योग और आयुर्वेद के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। ये दोनों ही शरीर और मन की शुद्धि, स्वास्थ्य और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अष्टांग  योग (ashtang  Yoga) अष्टांग योग भारतीय योग परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका उद्देश्य … Read more

यौगिक ग्रन्थों का सामान्य परिचय

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     ” शरीर एक रथ के समान है, जिसका स्वामी है आत्मा, ” बुद्धि उसकी सारथी है, मन लगाम का काम करता है, घोड़े उसकी इन्द्रियां है, और उसका विचरण क्षेत्र है यह संसार।   यौगिक ग्रन्थों का सामान्य परिचय                                … Read more

अलग अलग ग्रंथों एवं मतो में योग की परिभाषा

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      योग की परिभाषाये   :-                भारतीय चिंतन पद्धति व दर्शन में योग विद्या का स्थान सर्वोपरि एवं अति महत्वपूर्ण तथा विशिष्ट रहा है। भारतीय ग्रंथों में अनेक स्थानों पर योग विद्या से सम्बंधित जान ज्ञान भरा पड़ा है। वेदों उपनिषदों , पुराणों, गीता आदि प्राचीन एवं प्रामाणिक ग्रन्थो … Read more

योग एवं भारतीय परम्परा,

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 योग तथा भारतीय परम्परा।      “त्वमेव माता च पिता त्वमेव, तवमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।       त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।”                                                                                    … Read more

योग शब्द का अर्थ

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योग शब्द का अर्थ     ‘योग’ –          एक गुण एवं जटिल शब्द है संस्कृत व्याकरण का अगर अवलोकन करें तो योग शब्द यूज समाधौ धातु से बना है। महर्षि पणिनी के अनुसार तीन यूज धातु है। क.  युज समाधि–     दिवादिगणीय, दिवादिगणीय युज धातु का अर्थ है समाधि। युज का अर्थ … Read more

प्रस्तावना/ Introduction.

प्रस्तावना

    प्रस्तावना/ Introduction                                                            मानव मात्र के नैतिक, आर्थिक, कलात्मक औरआध्यात्मिक विकास का प्रमुख आधार                          … Read more