संपादकीय
. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, भरपुर आनन्द और दीर्ध जीवन के लिए योग विद्या एवं प्राकृतिक जीवन सर्व स्वीकार्य है। अब इसे आम लोगों से लेकर विशिष्ट जनही नहीं, अपितु चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने भी मान्यता दे दी है। और यह सिद्ध कर दिया है कि,
जहां हो योग एवं प्राकृतिक जीवन।
वहां कभी दवा और बिमारी न पहुंचे।
इस ब्लॉग को शुरू करने की प्रेरणा मेरे परिवार एवं मेरे मित्रों द्वारा दी गई तथा मेरे पिता स्वर्गीय श्री अवध बिहारी लाल जी तथा मेरी जननी स्वर्गीय श्रीमती राजेश्वरी देवी के आशीर्वाद से ही संभव हुआ। कोई भी स्तंभ खड़ा करना , किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं होता इसमें मेरी पत्नी श्रीमती किरन ने प्रशंसनीय धैर्य और उदारता से न केवल मेरी विविध प्रयोजनों में मदद की, बल्कि समय – समय पर स्वादिष्ट खाना खिलाकर मुझे नैतिक समर्थन भी प्रदान किया तथा मेरे बेटे,आकाश एवं आयुष मुझे स्वस्थ तथा प्राकृतिक चिकित्सा के विषय में मेरे विचारों को व्यक्त करने के लिए हर समय प्रेरित करते रहे।
मेरी छोटी पुत्रवधू श्रीमती दमनप्रीत जो स्वयं एक बेहतरीन योगा जानकर है , हर समय सहायता के लिए उपलब्ध रहीं।अपने मित्र श्री उमेश जोशी को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने हर वक्त अपना कीमती समय देकर मुझे शिमला तथा हिमाचल की अन्य सुन्दर जगहों पर लें जाकर एकांत उपलब्ध कराया तथा वहां के सोन्दर्य से वशीभूत होकर आगे बढ़ने को प्रेरित किया।इस ब्लॉग में मेने दैनिक जीवन -आधारित सभी पहलुओं तथा अपनी समय-समय की शारीरिक अवस्थाओं और मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर विचार करने की कोशिश की है। मैंने कुछ सामान्य रोग़ो और कष्टों के निवारण हेतु कुछ प्राकृतिक चिकित्सा , योग साधना एवं जड़ी बूटियों के सुझाव दिए हैं। यद्यपि इस ब्लॉग का विषय सामान्य रोगो के उपचार से ही नहीं अपितु योग अभ्यास तथा प्राकृतिक जीवन के द्वारा उत्तम स्वास्थ्य बनाए रखना है।
स्वास्थ्य” शब्द जिसका शाब्दिक अर्थ “आरोग्य” है ,यह ब्लॉग केवल शारीरिक अवयवों के सहज रूप से कार्य करते रहने से ही नहीं बल्कि जनमानस के आन्तरिक तथा बाहरी वातावरण में कुशलता पूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित लिए उत्साह प्रदान करेगा। यह ब्लॉग मेरे उन अनेकों प्रयासों में से एक है जोकि मैं मानस के संपुर्ण स्वास्थ की स्थिति का मार्ग खोजने की दिशा में समय-समय पर करता रहता हूं।