” शरीर एक रथ के समान है, जिसका स्वामी है आत्मा,
” बुद्धि उसकी सारथी है, मन लगाम का काम करता है, घोड़े उसकी इन्द्रियां है,
और उसका विचरण क्षेत्र है यह संसार।
यौगिक ग्रन्थों का सामान्य परिचय
योग सूत्र:
योग सूत्र महर्षि पतंजलि द्वारा लिखित ग्रंथ है, जिसमें योग के पांच मुख्य अंगों का वर्णन किया गया है: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, और प्रत्याहार. इन सूत्रों के माध्यम से, पतंजलि योग के अष्टांगिक योग की विधि, साधना, और लाभों को समझाते हैं.
हठ योग प्रदीपिका: ‘
हठ योग प्रदीपिका’ योगी स्वात्माराम द्वारा लिखित ग्रंथ है, जो हठ योग की विधि, तकनीक, और साधना को विस्तार से वर्णित करता है. इस ग्रंथ में आठ प्रकार के आसन, शुद्धि क्रियाएं, प्राणायाम, मुद्राएं, और ध्यान तकनीकों का वर्णन है.
घेरंड् संहिता: ‘
घेरंड संहिता’ भारतीय योगी घेरंड द्वारा लिखित ग्रंथ है, जिसमें योग और प्राणायाम की विधि, तकनीक, और उनके लाभों का वर्णन किया गया है. इस ग्रंथ में शरीर के नव मुख्य केंद्र (नाभि, हृदय, कंठ, पेट, तालु, घुटनो, नेत्र, और मस्तिष्क) और प्राण वायु की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
उपनिषद:
उपनिषद् वेदों के महत्वपूर्ण भाग हैं, जिनमें आध्यात्मिक विचार, तत्त्वज्ञान, और आन्तरिक ज्ञान के विषयों का वर्णन किया गया है. ये ग्रंथ योग और आत्मज्ञान के सिद्धांतों को समझाते हैं और छात्र-गुरु परंपरा में प्रचलित होने के कारण महत्वपूर्ण माने जाते हैं.