प्राणायाम क्या है, लाभ, नियम, एवं विधि –

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प्राणायाम क्या है, लाभ, नियम, एवं विधि  – 

                                                         प्राणायाम क्या है ? प्राणायाम को आम तौर पर सांस नियंत्रण की प्रक्रिया समझा जाता है। प्राणायाम में किए जाने वाले अभ्यास को देख कर यह ठीक ही लगता है, परंतु इसके पीछे सच बात कुछ और ही है। प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है: प्राण और आयम। प्राण का मतलब महत्वपूर्ण ऊर्जा या जीवन शक्ति है। वह शक्ति जो सभी चीजों में मौजूद है, चाहे वो जीवित हो या निर्जीव। प्राणायाम श्वास के माध्यम से यह ऊर्जा शरीर की सभी नाड़ियों में पहुँचाती है। प्राणायाम शब्द का अर्थ है नियंत्रण और योग में इसे विभिन्न नियमों या आचार को निरूपित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मगर प्राणायाम शब्द में प्राण के साथ  आयम की संधि की गयी है। आयम का मतलब है एक्सटेंशन या विस्तार करना। तो इसलिए प्राणायाम का सही मतलब है प्राण का विस्तार करना। 
 

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 1.   प्राणायाम के लाभ –
 2.   प्राणायाम के प्रकार –  
 3.   प्राणायाम को सरल बनाने की आवश्यकता क्यों है ? – 
 4.   प्राणायाम के नियम –
 5.   सरल प्राणायाम कैसे करें या सरल प्राणायाम करने की विधि – 
 6.    प्राणायाम करने में क्या सावधानी बरतनी चाहिए या प्राणायाम किसे नहीं करना चाहिए? – 
 
 1.   प्राणायाम के लाभ –
  – प्राणायाम का अभ्यास तनाव, अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। 
  – अगर आपकी कोई नाड़ी रुकी हुई हो तो प्राणायाम उसको खोल देता है।
  – प्राणायाम मन को स्पष्टता और शरीर को सेहत प्रदान करता है।
  – शरीर, मन, और आत्मा में प्राणायाम करने से तालमेल बनता है | प्राणायाम से आपके जीवन ऊर्जा तो बढ़ती ही है. साथ में, इसके      और भी फायदे बताए गए हैं. प्राणायाम करने से पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली बेहतर होती है. एक अध्ययन में यह भी पाया गया है        कि प्राणायाम की वजह से धूम्रपान की तलब भी कम होती है. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है. फेफड़ों को        मजबूती प्रदान करता है.प्राणायाम की अद्भुत शक्ति
   प्राणायाम से अवसाद का इलाज भी किया जा सकता है।
   प्राणायाम के अभ्यास से स्थिर मन और दृढ़ इच्छा-शक्ति प्राप्त होती है।
   इसके अलावा नियमित रूप से प्राणायाम करने से लंबी आयु प्राप्त होती है
  *प्राणायाम आपके शरीर में प्राण शक्ति बढ़ाता है। 
 
प्राणायाम के प्रकार – प्राणायाम के कुछ प्रमुख प्रकार हैं: 
 
 सूर्य भेदन प्राणायाम 
 उज्जायी प्राणायाम 
 सीत्कारी प्राणायाम 
 शीतली प्राणायाम 
 भस्त्रिका प्राणायाम
 भ्रामरी प्राणायाम 
  मूर्छा  प्राणायाम
 प्लाविनी प्राणायाम  
 बाह्य प्राणायाम  
 नाड़ी शोधन प्राणायाम
 कपालभाती प्राणायाम 
अनुलोम – विलोम प्राणायाम 
अग्निसार क्रिया 
 
आने वाले समय में हम आपको इन सभी के बारे में विस्तार से बताएंगे |
                    

               

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प्राणायाम को सरल बनाने की आवश्यकता क्यों है ? – 
योगशास्त्र  में उल्लेखित नियमित प्राणायाम पूरी तरह स्वस्थ लोगों के लिए हैं। इसमें योग की अनिवार्यताएं हैं – नियमित प्राणायाम को आहार और मन के प्रतिबंधों का पालन करने और आसन में उचित प्रशिक्षण पाने की आवश्यकता है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे, “एक स्वस्थ शरीर एक स्वस्थ मन की पूर्वापेक्षा है”। प्राणायाम के किसी भी प्रकार की विधि बिना किसी प्रशिक्षण के या शुरुआत में कई लोगों के लिए कठिन होती है। यदि प्राणायाम अपनी क्षमता से अधिक किया जाए तो वह चक्कर आने और साँस लेने में दिक्कत का कारण बन सकता है।
प्राणायाम के नियम –     
 प्राणायाम का अभ्यास श्रद्धा, प्रेम, धैर्य और सजगता के साथ नियमित करना चाहिए। 
*  दमा, उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगियों को कुंभक नहीं करना चाहिए।
*  हर एक प्राणायाम करने के पश्चात्‌ एक दो गहरे लंबे सांस भरकर धीरे-धीरे निष्कासित करके श्वास को विश्राम         देना चाहिए।
*   
  1.      प्राणायाम खाली पेट करनी चाहिए।
  2.      शुरुआत समय में सांस को रोकने से बचना चाहिए।
  3.      प्राणायाम को करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
  4.      जहां तक हो सके इसे बहुत ही शांत भाव में करना चाहिए।
  5.     उखड़े श्वास में कभी भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  6.    प्राणायाम करने का सबसे उत्तम समय प्रातः काल सोच आदि से निवृत होने के पश्चात है सायकल में भी कुछ हल्के                 प्राणायाम किया जा सकते हैं।
  7.    स्थान स्वच्छ शांत और हवादार होना चाहिए।
  8.    पद्मासन, सिद्धासन अथवा सुख आसन पर बैठकर प्राणायाम करना चाहिए।
  9.    प्राणायाम करने वाले साधक का आहार-विहार संतुलित, वास्तविक एवं पवित्र होना चाहिए।
  10.     प्राणायाम का अभ्यास श्रद्धा, प्रेम ,धैर्य और सजगता के साथ नियमित करना चाहिए।
  11.     हर एक प्राणायाम करने के पश्चात एक दो गहरी लंबे सांस भरकर धीरे-धीरे निष्कासित करके सांस को विश्राम देना चाहिए |
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सरल प्राणायाम कैसे करें या सरल प्राणायाम करने की विधि – 

 
 1. चुपचाप एक मिनट के लिए बैठें। सामान्य रूप से श्वास लें और छोड़ें। इस एक मिनट के दौरान, सोचें कि आप स्वस्थ होने और मजबूत बनने के लिए शरीर और मन में ऊर्जा प्राप्त करने जा रहे हैं। सोचें कि आप मन की सारी अशुद्धियों श्वास के माध्यम से बाहर निकालने वाले हैं और आप ऊर्जा और प्राण श्वास लेने के साथ प्राप्त करने वाले हैं। सोचें कि आप जो श्वास लेंगे, वह जीवन, ताकत, सकारात्मकवाद और ऊर्जा से बाहरी होगी। (और पढ़ें – सांस लेने में दिक्कत के लक्षण) 
2. आखें बंद कर लें, दृष्टि को नाक पर केंद्रित करें, पीठ सीधी रखें, और दिमाग़ को शांत करें।
 3. एक गहरी साँस लें, बहुत धीरे-धीरे से, जल्दबाज़ी ना करें। सोचें कि आप मान और शरीर में ऊर्जा और प्राण भर रहे हैं।
 4. धीमी गति से साँस छोड़ें। साँस छोड़ने की अवधि साँस लेने की अवधि के जितनी ही होनी चाहिए। सांस छोड़ते समय, सोचें कि आपके शरीर और दिमाग के सभी दोष बाहर निकाल रहे हैं। 
 5. अपनी सुविधा के अनुसार 10-20 बार दोहराएं।
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  प्राणायाम करने में क्या सावधानी बरतनी चाहिए या प्राणायाम किसे नहीं करना चाहिए? – 
 
  1     उखड़े सांस में कभी भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  2    दमा, उच्च रक्तचाप तथा हृदय के रोगियों को कुंभक नहीं करना चाहिए।
  3    किसी रोग की स्थिति में तथा गर्भवती महिलाओं को वेगयुक्त प्राणायाम नहीं करने चाहिए।
  4    यदि चक्कर आने लगे या साँस लेने में कठिनाई होने लगे, पसीना अधिक आने लगे, या अंध कार छाने की भावना महसूस होने         लगे तो तुरंत प्राणायाम करना रोक दें। खुल्ली हवादार जगह पर जा कर बैठ जायें, और सामान्य रूप से साँस लें। प्राणायाम               फिर से करने की कोशिश ना करें।
 5    यह दिल की बीमारी, कैंसर आदि जैसे गंभीर बीमारियों वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है। 2.
 6.    एक योग्य योग गुरु के निरीक्षण में ही दुबारा प्राणायाम करें।
इति

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