प्राकृतिक जीवन ओर चिकित्सा
क्या है प्राकर्तिक चिकित्सा ?
वर्तमान समय में भिन्न भिन्न प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग बढ़ते जा रहे हैं जिनकी भिन्न-भिन्न प्रकार से चिकित्सा भी की जा रही है परंतु चिकित्सा के उपरांत भी इन लोगों की संख्या तथा इन लोगों से पीड़ित रोगियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है इन लोगों के परिपेक्ष में प्रकृतिक चिकित्सा एक सरल सुलभ उपयोगी तथा स्थाई समाधान है।
प्राकृतिक चिकित्सा वास्तव में कोई चिकित्सा शास्त्र ना होकर हमारे जीवन की एक शैली है जिसके अंतर्गत हम प्रकृति के समीप रहकर प्राकृतिक नियमों का पालन करते हैं इसका संबंध हमारी सभ्यता और संस्कृति से है हमारे पूर्वज इसके साथ अपने जीवन को जोड़कर 100 वर्षों की स्वस्थ आयु को प्राप्त कर लेते थे परंतु जब से हमने इस जीवनशैली से दूर होकर ए प्राकृतिक जीवन शैली को अपनाया है तभी से भिन्न भिन्न प्रकार के लोगों ने हमारे जीवन को घेर लिया है।
प्राकृतिक जीवन की अवधारणा:-
प्रकृति के अनुरूप जीवन यापन करना प्राकृतिक जीवन कहलाता है दूसरे शब्दों में जीवन को प्रकृति के अनुसार जीना ही प्रकृतिक जीवन के लाता है प्राचीन समय में व्यक्ति प्राकृतिक रूप से अपनी जीवन चर्या चलाता था वह प्रकृति के बिल्कुल पास था पृथ्वी जल वायु अग्नि आकाश अर्थात पंचतत्व के बिल्कुल समीप था इसलिए वह शारीरिक रूप से वरिष्ठ तथा मानसिक रूप से स्वस्थ था।
प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए प्रकृति के समीप रहना की प्रकृतिक जीवन है यहां पर आपके मन में प्राकृतिक नियम क्या होते हैं तथा इसका पालन कैसे होता है अथवा मनुष्य किस प्रकार प्रकृति के समीप रहकर इसका लाभ उठा सकता है यह सब प्रश्न उठने स्वाभाविक हैं। इन प्रश्नों के उत्तर में हमें सबसे पहले प्राकृतिक नियमों को जानना आवश्यक होगा जोके इस प्रकार हैं।
प्राकृतिक दिनचर्या
1- प्रातः काल सूर्य उदय से पूर्व उठना प्रथम प्राकृतिक नियम है सामान्यता संसार के सभी जीव जंतु इस प्रथम नियम का पालन स्वयं ही करते हैं अतः व्यक्ति को चाहिए कि वह सूर्य उदय से पहले अथवा ब्रह्म मुहूर्त में अवश्य निंद्रा त्याग कर दे।
प्राकृतिक आहार
2- वर्तमान समय में व्यक्ति का आहार असंतुलित है डिब्बाबंद फास्ट फूड के सेवन से उसने अपने आप को बीमार कर लिया है प्रकृति ने हमें जो हाथ जिस रूप में दिया है हमें उसी रूप में इस आहार का सेवन करना चाहिए इसे गर्म करने तलने भूलने तथा मिर्च मसाले प्रयोग करने से इसकी प्रकृति बदल जाती है।
प्राकृतिक सोच विचार
3- प्राकृतिक सोच-विचार का अर्थ सकारात्मक भावनाओं को अपनाने से है झूठ चोरी हिंसा से अलग सदा सुख की कामना करते हुए आसन प्राणायाम तथा ध्यान का अभ्यास प्राकृतिक नियमों के अंतर्गत ही आता है।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग
4- जीवन में प्रकृतिक संसाधन कृतार्थ मिट्टी जल अग्नि वायु तथा आकाश तत्वों का प्रयोग करना प्राकृतिक नियम के अंतर्गत आता है मनुष्य को आरोग्य तथा सामान्य स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्राकृतिक जीवन के 5-नियम बनाए बनाए गए हैं जो निम्नानुसार है।
1-सप्ताह में एक बार उपवास रखें
2- दिन भर में 10 बार गिलास पानी
3- संध्या में पूजा यह प्रार्थना करना
4 -नियमित व्यायाम
5 दिन में सिर्फ दो बार भोजन करना
प्राकृतिक चिकित्सा का अर्थ:-
शरीर में संचित विजातीय द्रव्य को प्राकृतिक साधनों द्वारा बाहर निकालना एवं जीवनी शक्ति को उन्नत करना ही प्राकृतिक चिकित्सा चिकित्सा कहलाती है प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं प्राकृतिक जीवन एवं योग को छोड़कर और कोई भी चिकित्सा पद्धति पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान नहीं कर सकती उसका ज्ञान प्राप्त कर हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के लिए आत्मनिर्भर हो जाता है प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ एक चिकित्सा ही नहीं बल्कि जीवन पद्धति है जब सभी अन्य इलाज असफल हो जाते हैं तब भी प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज संभव है प्राकृतिक चिकित्सा सहज सरल और सर्वत्र है जो एक बार इसका आंसर लेता है इसका सच्चा अनुरागी बन जाता है रोग जड़ से निकल जाता है जल्द आराम होता है मन में शांति और शरीर में स्थिति बढ़ती है।
प्राकृतिक चिकित्सा से सभी दबे रोग भी ठीक हो जाते हैं दवाई नहीं खानी पड़ती एवं चीर फाड़ की आवश्यकता नहीं होती रोगी इस चिकित्सा से आराम होने पर शीघ्र ही अपने सारे कार्य करने लगता है मन में रोक काव्य चला जाता है प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली दोहरा कार्य करती है प्रथम काव्य लोगों को शीघ्र समरूप मुक्त करना वित्तीय कार्य प्रशिक्षित करना व प्राकृतिक जीवन अपना कर भविष्य में अपने पूर्व मुक्त करना।
प्राकृतिक चिकित्सा की परिभाषा
हमारा यह शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश इन पांच तत्वों के संयोग से ही हमारे शरीर का निर्माण होता है शरीर में इन तत्वों योग जब तक सब अवस्था में रहता है तभी तक शरीर स्वस्थ रहता है किंतु जब भी इन तत्वों को योग विषम हो जाता है तभी यह शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है लोगों की इस अवस्था में प्रकाश प्रकृतिक साधनों का प्रयोग कर पंचतत्व के युवकों पुणे सम बनाना ही प्राकृतिक चिकित्सा है प्राकृतिक चिकित्सा प्रकृति के निर्माण कार्य सिद्धांतों के अनुसार शारीरिक मानसिक नैतिक और आध्यात्मिक धरातल पर सामंजस्य के साथ मानव निर्माण की व्यवस्था है
प्राकृतिक ढंग से जीवन यापन करना ही प्राकृतिक चिकित्सा है
आकाश तत्व वायु तत्व अग्नि तत्व जल तत्व तथा पृथ्वी तत्व का प्रयोग कर रोग को ठीक करने की पद्धति को प्राकृतिक चिकित्सा कहते हैं
प्राकृतिक जीवन प्राकृतिक आहार विहार नित्य व एवं शारीरिक आंतरिक व स्वच्छता व सफाई पर निर्भर चिकित्सा ही प्राकृतिक चिकित्सा है
शरीर में पंच तत्व को लहसुन तरह संतुलन को जिस चिकित्सा पद्धति के द्वारा पुनः संतुलित किया जाता है वह प्राकृतिक चिकित्सा के लाती है
प्रकृति की गोद में रहकर ही जीवन यापन करना प्राकृतिक चिकित्सा है प्रकृति पर निर्भर रहने वाली चिकित्सा ही प्राकृतिक चिकित्सा है
प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास:-
प्राकृतिक चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा कहलाती है जब भी इस संसार का उदय हुआ होगा पंचतत्व यानी पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश अवश्य ही इस संसार में व्याप्त होंगे अतः हम कह सकते हैं कि जितनी पुरानी प्रकृति है उतनी ही प्राकृतिक चिकित्सा है ।
अगर प्राचीनतम आर्ष ग्रंथों का अवलोकन करें तो सबसे प्राचीनतम ग्रंथ वेद कहे जाते हैं वेदों में भी प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित कई बातों का वर्णन मिलता है
वेद काल के साथ-साथ पुराण काल में भी प्राकृतिक चिकित्सा सर्वव्यापी थी राजा दिलीप की अगर कहानी आपने पढ़ी होगी तो कहा जाता है कि जंगल से 1 तथा दुख दुकान उनकी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग था राजा दशरथ ने एक के बाद फल्प कल्प कराकर संतान लाभ दिया था प्राचीन समय पर आधुनिक चिकित्सा पद्धति किसी भी रुप में नहीं थी पुराने वेदों के पास जब व्यक्ति जाता था तो उसे उपवास कराया जाता था भगवान बुद्ध ने भी प्राकृतिक चिकित्सा की उपयोगिता को माना है
बौद्ध दर्शन की पुस्तक महा वर्ग में लिखा है कि एक बार विषैले सर्प ने एक बकरी को काट दिया जमीन बात की सूचना भगवान बुद्ध को मिली तो उन्होंने कहा यही भिक्षुओं मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं कि विश्वास करने के लिए चिकनी मिट्टी गोवर मूत्र और राख का उपयोग करो
आत: हजारों साल पुरानी यह घटना बताती है कि लोग नाश विश्वनाथ के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग प्राचीनतम समय से चला आ रहा है। भले ही प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली भारत की देन है पर इस प्रणाली के पुनर्निर्माण का श्रेय पाश्चात्य देशों को भी जाता है ईसा से कई वर्ष पूर्व ही पॉकेट जिसको प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली का जनक कहते हैं अपने रोगियों को नियमित रूप से सुबह स्नान कर आता था आधुनिक समय में कई प्राकृतिक चिकित्सालय में चिकित्सकों ने प्राकृतिक चिकित्सा के उत्थान के लिए कार्य किया है जिसमें सर्जन खिलायर बिल सेज बिजनेस शीला मिशन जोहान फादर निकली पुणे रानी एडोल्फ जस्ट महात्मा गांधी निरंजन मुखर्जी मोरारजी देसाई गंगा प्रसाद नार महावीर प्रसाद पोद्दार डॉक्टर विट्ठल दास मोदी इत्यादि प्रमुख हैं।
इति
—